रामगढ़ ज़िले के वेस्ट बोकारो ओपी क्षेत्र के बथान टांड़ गांव के दर्जनों रैयतों ने टाटा वेस्ट बोकारो कंपनी पर गंभीर आरोप लगाते हुए आंदोलन और सामूहिक आत्महत्या की चेतावनी दी है। ग्रामीणों का कहना है कि वर्ष 2016 में कंपनी के साथ किए गए समझौते के तहत उन्हें जमीन के बदले नौकरी और मुआवजा दिया जाना था।

ग्रामीणों के अनुसार, Q-SEB प्रोजेक्ट के तहत 23 लोगों को नौकरी देने की सहमति हुई थी, जिसमें केवल 8 लोगों को वर्ष 2017 में नौकरी दी गई। शेष 15 नौकरियां अब तक लंबित हैं। जब भी ग्रामीण कंपनी से संपर्क करते हैं, तो उन्हें सिर्फ आश्वासन दिया जाता है कि खदान की पहली परत पर कार्य चल रहा है, आगे नियुक्तियां होंगी।

ग्रामीणों का आरोप:
“टाटा कंपनी लगातार हम ग्रामीणों को टालने का काम कर रही है। हमने कई बार टाटा प्रबंधन को आवेदन भी दिया, लेकिन हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया,” – एक ग्रामीण ने बताया।

ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा है कि यदि 26 मई तक सभी 18 लंबित नौकरियां नहीं दी गईं, तो वे कंपनी का सारा कामकाज बंद करवा देंगे। इसके अलावा, अगर कंपनी ने न्याय नहीं किया तो वे आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठाने को मजबूर होंगे।

प्रशासन और कंपनी की चुप्पी:
इस पूरे मामले में टाटा कंपनी की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। वहीं, ग्रामीण आंदोलन की तैयारी में जुटे हैं।

मौके पर मौजूद रैयतों में शामिल थे:
मोहम्मद नूर, मोहम्मद अरमान, गुलाम रब्बानी, खुतेजा खातून, तारीख इकबाल, वाहिद हसरत, हाफिजा खातून, हरीरा खातून, सूफेदा खातून, खैरून निशा, मोहम्मद मुमताज़, मोहम्मद असलम, मोहम्मद जिलानी, मो. सगीर, मोहम्मद इम्तियाज़, मोहम्मद बशीर, मोहम्मद हैदर, मोहम्मद मजलूम, मो. निरूद्दीन, मो. मोईउद्दीन साह सहित कई अन्य रैयत।

रिपोर्ट_____आशीष कुमार मुखर्जी

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