संवाददाता | संजय ओझा

झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन (JPA) ने आज रांची में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में राज्य के निजी विद्यालयों में हो रही मनमानी फीस वृद्धि, अवैध री-एडमिशन चार्ज और वार्षिक शुल्क वसूली को लेकर आपत्ति जताई। एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री अजय राय ने स्पष्ट कहा कि “शिक्षा का व्यवसायीकरण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा” और प्रशासन को कड़ा संदेश देते हुए सभी अतिरिक्त और गैर‑कानूनी फीस वसूली पर तुरंत रोक लगाने की मांग की।

“जब तक इन मुद्दों पर पारदर्शी निर्णय नहीं होंगे, तब तक किसी भी प्रकार की अवैध वसूली बर्दाश्त नहीं की जाएगी,”
— अजय राय, अध्यक्ष, झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन

श्री राय ने बताया कि

  • शिक्षा मंत्री एवं साक्षरता विभाग ने सभी उपायुक्तों को 2017 के झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण (संशोधन) अधिनियम के अंतर्गत सख्त कार्रवाई के निर्देश दे चुके हैं।
  • अवैध री‑एडमिशन चार्ज और बढ़ी हुई वार्षिक फीस की वसूली सीधे इस अधिनियम का उल्लंघन है।

प्रमुख बिंदु:

  1. मनमानी फीस वृद्धि: कई निजी स्कूलों ने बिना किसी औचित्य के इस वर्ष 15–20% तक फीस बढ़ा दी।
  2. गैर‑कानूनी री‑एडमिशन चार्ज: पहले से अध्ययनरत बच्चों से पुनः दाखिले के नाम पर अतिरिक्त राशि वसूली जा रही है।
  3. पारदर्शिता का अभाव: PTA के गठन और उसकी निर्णय‑प्रक्रिया में अभी भी कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं लागू हुआ।

“शिक्षा का अधिकार आज महंगे कोर्स और अतिरिक्त शुल्क के बोझ तले दब सा गया है,” जोर देकर कहा श्री राय ने। उन्होंने यह भी बताया कि कई माता‑पिता ने अपने बच्चों को नामांकन से वंचित रहकर भी आर्थिक बोझ उठाने में असमर्थता जताई है।

प्रशासन की चुप्पी
अधिकारियों से बार‑बार अनुरोध के बावजूद जिले के उपायुक्त और शिक्षा विभाग ने अब तक इस मसले पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। इससे पेरेंट्स एसोसिएशन में गहरी नाराज़गी व्याप्त है।

“हमने वर्षों तक उम्मीद लगाकर बैठे रहे, लेकिन अब आवाज उठानी ही पड़ेगी,”
— सदस्य, झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन

आगे क्या होगा?
JPA ने राज्य सरकार से 7 दिवस के भीतर जवाबी कार्रवाई की मांग की है। यदि निर्दिष्ट समयावधि में कार्रवाई नहीं हुई, तो एसोसिएशन जनहित रिट याचिका व मानव श्रृंखला सहित अन्य मोर्चों पर आंदोलन का ऐलान कर सकता है।

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